पिछले एक दशक में जब से डिजिटल कैमरे बाज़ार में आये हैं तब से न केवल शौक़िया फोटोग्राफेरों की सांख्या में इज़ाफा हुआ है बल्कि फोटोग्राफी का स्तर भी काफी उपर उठा है | दुनियाभर में तेज़ इंटरनेट के आने से फोटो अपलोड और डाउनलोड करना भी आसान हुआ है |
लेकिनआज भी बहुत कम लोग ये जानते हैं के ऑनलाइन फोटो बेचकर पैसे कमाये जा सकतेहैं | कुछ लोग जानते हैं के ये होता है लेकिन उनको ये नहीं पता के ये होता कैसे है |
आज के दौर में मुख्यतः चार तरह से फोटो बेचे जा सकते हैं
१. सीधे निजी संपर्कों के माध्यम से
२. अपने वेबसाइट के माध्यम से
३. ऑनलाइन फोटो गैलरीज के माध्यम से
4. स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाईट्स के माध्यम से
१. सीधे निजी संपर्कों के माध्यम से से फोटो बेचना : अगर आप एक नामचीन फोटोग्राफर हैं और आपके बाज़ार में अच्छे संपर्क हैं तो आपके कमर्शियल उपयोग लायक स्टॉक फोटोज डिजाइनिंग कंपनियां, एड एजेंसियां आदि खरीद लेती हैं अगर आपके फोटो उनकी ज़रुरत के अनुसार हुए तो | लेकिन इसमें नुकसान यह है के आपके फोटो बिकने का दायरा सीमित रहेगा जिससे फोटोज की कम बिक्री होगी |
२. आप आपके वेबसाइट के माध्यम से भी फोटो बेच सकते हैं | वेबसाइट की पहुँच दुनियाभर में होती है तो अगर आपके वेबसाइट पर दुनिया भर के लोग आ रहे हैं तो खरीदार भी आकर फोटो खरीद सकता है | खुद के वेबसाइट से फोटो बेचने में सबसे बड़ी समस्या होती है बिके हुवे फोटो से आने वाले पेमेंट्स का प्रबंधन और फोटो की डिलीवरी | दूसरी समस्या आपको खुद आपके वेबसाइट की मार्केटिंग करना पड़ेगी जिससे के दुनियाभर के खरीदारों को आपके वेबसाइट और उस पर डाले हुए फोटोज का पता चल सके |
३. अगर आप कलात्मक फोटो खीचते हैं जो के लोग अपने घर या दफ्तर की दीवारों पर सजाना चाहेंगे या फिर कला प्रेमी उसको अपने कलेक्शन का हिस्सा बनाने चाहें तो आप प्रदर्शनियों और ऑनलाइन फोटो गेलेरियों जैसे के 500px.com और 1x.com के माध्यम से भी अपने फोटो बेच सकते हैं |
४. स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाइट के माध्यम से : क्योंकि हम बात कर रहे हैं व्यावसायिक दर्जे के फोटो बेचने की इसलिए हमें स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाईटों और उनसे जुड़े विभिन्न पेहेलुओं को विस्तार पूर्वक समझना पड़ेगा | ये इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाईट्स ही ऐसा सबसे बड़ा माध्यम है जो आपके फोटो घर बैठे दुनियाभर में बिकवा सकता है | तो आइये समझते हैं स्टॉक फोटोग्राफी क्या है |
स्टॉक फोटोग्राफी क्या है ?
स्टॉक फोटोग्राफी फोटोज़ का ऑनलाइन या ऑफलाइन ऐसा डेटाबेस या संग्रह है जिससे के ज़रुरत पड़ने पर फोटोज खरीदे जा सकें क्योंकि कई बार १ या २ फोटोज़ के लिए आमतौर पर किसी फोटोग्राफर से शूट करवाना समय और जेब दोनों पर भारी पड़ता है | कई बार कुछ परिस्थीतियाँ या लोकेशंस ऐसी होती हैं के बजट और समय होने के बावजूद आप शूट नहीं कर सकते हैं | उदहारण के तौर पर मुंबई में बैठी एक एड एजेंसी को अफ्रीका के मसाई मारा का एक फोटो चाहिए तो वह एजेंसी किसी फोटोग्राफर से नया शूट करवाने के बजाये ऑनलाइन स्टॉक फोटो वेबसाइट पर जायेगी “मसाई मारा अफ्रीका” सर्च करेगी और मिनटों में वह फोटो डाउनलोड करके अपना काम कर लेगी |
सरल शब्दों में समझें तो जब कोई कंपनी या डिजाईन एजेंसी को कोई भी फोटो इस्तेमाल करना होता है (मार्केटिंग, क्रिएटिव या किसी और व्यवसायिक उपयोग के लिए) तो या तो वह १. किसी फोटोग्राफर को असाइनमेंट देते हैं या फिर वह पहेले से खींचे गए फोटोज़ में से फोटो खरीदते हैं | पहेले से खींचा गया फोटो किसी कलेक्शन का हिस्सा होता है और उस कलेक्शन या डेटाबेस को फोटो स्टॉक (स्टॉक फोटोग्राफी) बोलते हैं |
जब भी हम कोई मैगज़ीन पढ़ते हैं या अखबार, होर्डिंग, पाठ्य पुस्तकें, ब्लॉग या कोई भी प्रोडक्ट या कॉर्पोरेट लिटरेचर आदि देखते हैं – या फिर टेलीविज़न के कार्यक्रमो में इस्तेमाल हुवे फोटो ही क्यों न देख रहे हो – बहुत संभव है के वह सब फोटो स्टॉक फोटोग्राफी से लिए गए हों |
दुनिया भर में स्टॉक फोटोग्राफी का इतिहास पुराना है इन्टरनेट के आने से पहले से स्टॉक फोटोग्राफी अजेंसियों ने काम करना शुरू कर दिया था और स्टॉक फोटोग्राफर मेगज़िनो और एडवर्टाइजिंग को ध्यान में रखकर अपने स्टॉक फोटो खींच रहे थे | फिर गेटी इमेजेस और कॉर्बिस जैसी बड़ी और सफ़र स्टॉक एजेंसियों ने आकर पूरे बाज़ार पर अपना वर्चस्व स्थापित किया | जब इन्टरनेट का दुनियाभर में विस्तार हुआ तो गेटी इमेजेस और कॉर्बिस के अलावा सन २००० आते आते जुपिटर इमेजेस ने काफी छोटी स्टॉक कम्पनीयों को अधिग्रहित कर लिया | इसके बाद आई-स्टॉक-फोटो ने परंपरागत स्टॉक फोटोग्राफी के बिज़नेस मॉडल के बदले एक नयी चीज़ बाज़ार में उतारी जिसको माइक्रो स्टॉक कहते थे और जिसका आगे चलकर ड्रीम्सटाइम, शटर स्टॉक और फोटोलिया जैसी एजेंसियां भी अनुसरण करने वाली थी |
खैर ये तो हुआ इतिहास अब हम समझते हैं के ये पारंपरिक स्टॉक, माइक्रो स्टॉक, राइट्स मेनेज्ड स्टॉक होता क्या है ? और अभी २०१६ में बाज़ार की क्या स्थिति है |
पारंपरिक या ट्रेडिशनल स्टॉक फोटोग्राफी लाइसेंस : जब किसी स्टॉक या संग्रह में से खरीदार को कोई फोटो बेचा जाता है और केवल उस खरीदार को ही वह फोटो के उपयोग के विशिष्ट अधिकार होते हैं | लेकिन विशिष्ट अधिकार वाले फोटो दूसरे स्टॉक फोटो लाइसेंसों की तुलना में काफी मेहेंगे होते हैं |
राइट्स मैनेज्ड स्टॉक : राइट्स मैनेज्ड लाइसेंस के अंतर्गत खरीदार को सीमित विशिष्ट उपयोग अधिकार होते हैं, यानी अगर खरीदार अपनी ज़रुरत के हिसाब से किसी सीमित मीडिया जैसे वेब, प्रिंट, होर्डिंग आदि के लिए एक निर्धारित समय के लिए किसी फोटो के विशिष्ट अधिकार प्राप्त कर सकता है |
माइक्रो स्टॉक या रॉयल्टी फ्री स्टॉक या माइक्रो पेमेंट फोटोग्राफी : इस बिज़नेस मॉडल के अंतर्गत जो फोटो बेचे जाते हैं उसमे खरीदार को किसी भी फोटो के उपयोग के असीमित अधिकार होते हैं लेकिन उसके उपयोग के विशिष्ट अधिकार नहीं होते हैं | मान लीजिये भारत में किसी वेबसाइट डिजाइनिंग कंपनी को अपने एक वेबसाइट के लिए फ़ोन पर बात करते किसी व्यक्ति के फोटो की आवश्यकता है तो वह कंपनी इस तरह के फोटो के एक्सक्लूसिव राइट्स खरीदने की जगह वह फोटो किसी माइक्रो स्टॉक वेबसाइट से जाकर खरीदेगी जहाँ से उसको वह फोटो लो-रिजोल्यूशन में मात्र ३०-४० रुपये में मिल जाएगा, और उस फोटो का वह कंपनी जितनी बार चाहे और जहाँ चाहे इस्तेमाल कर सकती है | और जिस माइक्रो स्टॉक वेबसाइट से उसने फोटो खरीदा था वह भी उस फोटो को जितनी बार चाहे बेच सकती है |
अगर आपके पास डिजिटल कैमरा है और अगर डी.एस.एल.आर यानी डिजिटल एस.एल.आर है तो बहुत अच्छी बात है, तो आप स्टॉक फोटोग्राफी करके विभिन्न स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाइटों पर अपने फोटो सबमिट कर सकते हैं | हालाँकि काफी फोटोग्राफर पॉइंट एंड शूट कैमरों से भी काफी अच्छी स्टॉक फोटोग्राफी करते हैं
एक रिसर्च के मुताबिक स्टॉक फोटोग्राफी दुनियाभर में २०० करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार है | और स्टॉक फोटो आम तौर पर
• एड एजेंसियां
• मैगज़ीन
• मुद्रक या प्रिंटर (किताबों, पाठ्य पुस्तकों के लिए )
• कॉर्पोरेट्स
• एन. जी ओ और सरकारी विभाग
• ग्राफ़िक डिज़ाइनर
आम तौर पर आप किसी भी प्रकार का फोटो ले सकते हैं और उसको एक स्टॉक फोटो के रूप में सबमिट कर सकते हैं लेकिन नीचे दिए गए उदहारण देखकर आपको एक अंदाज़ा लग जाएगा कि आम तौर पर किस तरह के फोटो स्टॉक वेबसाइटों पर बेचे जा सकते हैं |
• मुंबई की एक एड एजेंसी को एक अंतरराष्ट्रीय प्रिंट विज्ञापन के लिए मस्ती करते हुवे छोटे बच्चो की ज़रुरत है |
• एक मैगज़ीन को उसके एक कॉन्सेप्ट के लिए “ग्लोबल वार्मिंग” सम्बंधित फोटो चाहिए है |
• एक वेबसाइट डिज़ाइनर को उसके टूर ट्रेवल ऑपरेटर के वेबसाइट के लिए मोरिशिउस की फोटो चाहिए है |
• एक किताब मुद्रक को उसकी साइंस की किताब के कवर के लिए कोई “साइंस लैब” का फोटो चाहिए
• एक डिज़ाइनर को किसी डिजाईन के लिए सफ़ेद बैकग्राउंड पर वाइन की बोतल का फोटो चाहिए है |
ये तो थे कुछ उदहारण लेकिन एक फोटोग्राफर होने के नाते इस चीज़ का भी ध्यान रखना चाहिए के बाज़ार में किस तरह के फोटोज़ की ज़रुरत पड़ सकती है, डिजाईन कंपनियां किस तरह के फोटो खरीद रही हैं और आप उस तरह के फोटोज़ में क्या नया और अलग करके दे सकते हैं जिससे आपके फोटो ज्यादा से ज्यादा बार बिकें |
स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाइट कैसे काम करते हैं |
एक फोटोग्राफर होने के नाते हमें बस अच्छे फोटो क्लिक करके स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाइट पर अपलोड या सबमिट करना भर होते हैं उसके आगे का काम वह स्टॉक एजेंसी करती है |
आइये जानें के ये होता कैसे है |अभी दुनियाभर की जितनी भी मशहूर माइक्रो स्टॉक फोटोग्राफी एजेन्सियां हैं वह सब दुनिया भर के फोटोग्राफरों के लिए खुली हैं यानी कोई भी फोटोग्राफर वहां फ्री में अपना अकाउंट बना सकता है और फोटो सबमिट करना शुरू कर सकता है |परन्तु इन सभी एजेंसियों के अपने कुछ मानक कुछ शर्तेहोती हैं जिनके आधार पर यह एजेंसियां फोटोग्राफरों द्वारा सबमिट किये गए फोटोज़ को जाँचती हैं उसके पश्चात् ही उन फोटोज़ का चुनाव करती हैं | एजेंसी उन फोटोज़ को अस्वीकार कर देती है जो फोटो उस एजेंसी के मानक पर खरे नहीं उतरते हैं |
किस तरह के फोटो आमतौर पर एजेंसियां रिजेक्ट करती हैं ?
१. तकनीकी कारण : जैसे फोटो फोकस में न होना, फोटो में नॉइस होना, लेंस के कारण होने वाला पिक्सेल डिसटॉर्शन, डिस्टॉर्टेड पिक्सेल और लेंस फ्रिन्जिंग, लो-लाइट या कम लाइट, ओवर-एक्सपोज्ड, खराब लाइटिंग सेटप, वाइट् बैलेंस, खराब शार्पनेस, खराब कम्पोजीशन, ज़रुरत से ज्यादा पोस्ट प्रोसेसिंग या फोटोशॉप, खराब दर्जे के HDR फोटो, खराब बैकग्राउंड|
२. कुछ स्टॉक एजेंसियों ने कुछ न्यूनतम मेगा पिक्सेल का भी मापदंड निर्धारित किया हुवा है | तो आपका फोटो कम से कम उतने मेगापिक्सेल्स का होना ही चाहिए |
३. फोटो में किसी ट्रेडमार्क का होना |
४. अच्छा फोटो लेकिन स्टॉक में बेचे जाने जैसा न होना | उदहारण के तौर पर फाइन आर्ट फोटोस जो कलात्मक ज़रूर होते हैं लेकिन स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाइटों पर उनके खरीदार कम होते हैं |
५. मॉडल रिलीज़ : अगर आपके फोटो में कोई भी इंसान हैजिसका चेहरा दिख रहा है या फोटो देखने पर पहचाना जा सकता है तो आपको उसकेद्वारा साइन किया मॉडल रिलीज़ डॉक्यूमेंट सबमिट करना पड़ता है । यह दस्तावेज़ उस व्यक्ति द्वारा साइन की हुई सहमती है के आप उसके फोटो को व्यवायिक रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं | मॉडल रिलीज़ डॉक्यूमेंट के बिना आपके फोटो कोई भी एजेंसी स्वीकार नहीं करेगी |
६. अगर आपके फोटो में कोई व्यक्ति या कोई ट्रेडमार्क वास्तु जैसे किसी कंपनी कालोगो या किसी मॉल में ली हुई फोटो है जिसमे कुछ लोग भी दिख रहे हैं और मॉडल रिलीज़ नहीं है आपके पास तोऐसी फोटो को “एडिटोरियल” फोटो के रूप में सबमिट कर सकते हैं | लेकिन एडिटोरियल लाइसेंस वाले फोटो केवल समाचार सम्बंधित उपयोग ही किया जा सकता है | जैसे आपने किसी क्रिकेट मैच के दौरान सचिन तेंडुलकर का फोटो लिया और उसको स्टॉक पर सबमिट करना चाहते हैं तो आप उसको केवल एडिटोरियल लाइसेंस के अंतर्गत ही कर सकते हैं | एडिटोरियल लाइसेंस वाले फोटो किसी विज्ञापन में नहीं इस्तेमाल हो सकती हैं |
७. प्रॉपर्टी रिलीज़ : मॉडल रिलीज़ की तरह ही प्रॉपर्टी रिलीज़ डॉक्यूमेंट भी होता है, कुछ जगहों के फोटो लेने और उसका व्यावसायिक उपयोग करने के लिए उस स्थान के मालिक से प्रॉपर्टी रिलीज़ डॉक्यूमेंट साइन करवाना पड़ता है |
८. कॉमन सब्जेक्ट वाले फोटोज भी अक्सर एजेंसियां रिजेक्ट कर देती हैं | जैसे फूल, कंप्यूटर कीबोर्डआदि इस तरह के फोटो पहले से हर जगह उपलब्ध हैं । एक ही शूट के एक जैसे बहुत सारे फोटो सबमिट न करें । कोशिश करें की हर शूट से कुछ ही अच्छे फोटो छांटकर सबमिट करें इससे आगे चलकर आपको उसी फोटो के ज्यादा बारडाउनलोड मिलेंगे जिससे के उसकी कीमत बढती जायेगी |
एक फोटो सबमिट करने के साथ ही आपको आपके फोटो का टाइटल, डिस्क्रिप्शन (विवरण) और कुछ कीवर्ड देना पड़ते हैं जिससे आपका फोटो उस वेबसाइट की ऑनलाइन सर्च में ढूंडा जा सके | इसलिए कीवर्ड बहुत ही ज़रूरी हैं |
कितना कमाया जा सकता है और स्टॉक एजेंसियां कितने पैसे फोटोग्राफर से लेती हैं ?
१. एक बार फोटो सबमिट करने और कीवर्ड आदि डालने के बाद आपको अगले शूट के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि अब आपकी स्टॉक एजेंसी आपके फोटो बेचने में लग जायेगी | आपकी एजेंसी आपके फोटो बेचती ही नहीं है बल्कि वह आपके हाई रेजोल्यूशन वाले फोटो अपने पास संभाल के रखती है, आपके फोटो के लिए ग्राहक ढूँढती है, फोटो बिकने पर ये भी सुनिश्चित करती है के जिस साइज़ का फोटो खरीदा गया है उसी साइज़ का फोटो खरीदार को उपलब्ध कराये, बेचे हुवे फोटो के बदले आये हुवे पैसों का हिसाब रखती है | लगभग सभी माइक्रो स्टॉक एजेंसियों पर फोटोग्राफर फ्री में फोटो सबमिट कर सकते हैं | एजेंसियां फोटो बेचे जाने पर उस बिक्री पर कुछ प्रतिशत कमीशन लेती हैं लेकिन ऐसा वह फोटो बिकने की सूरत में ही करती हैं आपको आपनी जेब से कुछ नहीं देना पड़ता है |
२. स्टॉक वेबसाइट पर आपके जितने ज्यादा फोटो होंगे आप उतना ज्यादा कमाएंगे और आप अगर माइक्रो स्टॉक में फोटो बेचते हैं तो न केवल आपका फोटो बार बार बिकेगा बल्कि हर बार बिकने पर उसका लेवल बढेगा यानी बढे हुवे लेवल वाले फोटो पर आपको ज्यादा पैसे मिलेंगे.
३. अगर आप अंग्रेजी में और खासकर कीवर्ड डालने में सहज नहीं हैं तो कुछ कीवर्ड टूल इन्टरनेट पर उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से आप कीवर्ड डाल सकते हैं.
यूरी आर्कर्स कीवर्ड टूल : http://www.arcurs.com/keywording/
माइक्रो स्टॉक ग्रुप का कीवर्ड टूल : http://microstockgroup.com/tools/keyword.php
४. कीवर्ड डालते समय इस बात का ध्यान रखें की कीवर्ड आपके फोटो से संभंधित ही हों जिससे खरीदार आपके फोटो तक पहुंचकर आपका फोटो खरीदे भी | कुछ वेबसाइट्स ग़लत कीवर्ड को फ्लैग भी कर देती हैं, मतलब रद्द कर देती हैं जिससे आपके फोटो की रेटिंग गिर सकती है |
५. माइक्रो स्टॉक बिजनेस मॉडल के अंतर्गत आपका फोटो अनेक बार बिक सकता है, और हर बिक्री के बाद आपके फोटो का लेवल ऊपर उठता है | जिससे उस फोटो पर आपको मिलने वाला कमीशन भी बढ़ता जाता है |